हे प्रभु, मैं आपको उस रूप में देखना चाहता हूँ जिसमें आपके परम प्रिय भक्त आपकी आराधना करते हैं। आपके अन्य भी अनेक रूप हैं, किंतु मैं तो उस रूप का दर्शन करना चाहता हूँ जिसे भक्तगण विशेष रूप से पसंद करते हैं। आप मुझ पर दया करें और मुझे वह स्वरूप दिखाएँ, क्योंकि जिस रूप की भक्तगण पूजा करते हैं वही स्वरूप इन्द्रियों की इच्छाओं को पूरी तरह से संतुष्ट कर सकता है।