श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 24: शिवजी द्वारा की गई स्तुति का गान  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  4.24.21 
 
 
नीलरक्तोत्पलाम्भोजकह्लारेन्दीवराकरम् ।
हंससारसचक्राह्वकारण्डवनिकूजितम् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  उस विशाल सरोवर में अलग-अलग किस्म के कमल के फूल थे। कुछ कमल नीले थे और कुछ लाल थे। कुछ कमल रात में खिलते थे, कुछ दिन में और इन्दीवर की तरह कुछ कमल शाम में खिलते थे। इन सब फूलों से सरोवर ऐसा भर गया था कि वह कमलों की खान जैसा दिखाई दे रहा था। इस कारण से सरोवर के किनारे हंस, सारस, चक्रवाक, कारण्डव और दूसरे खूबसूरत जलपक्षी खड़े दिखाई दे रहे थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.