जब प्राचीनबर्हि के सभी पुत्र तपस्या के लिए घर त्यागकर चले गये तब उन्हें भगवान शिव मिले, जिन्होंने अत्यन्त अनुग्रह करके उन्हें परम सत्य का उपदेश दिया। प्राचीनबर्हि के सभी पुत्रों ने उनके उपदेशों का अत्यन्त सावधानी और तन्मयता के साथ जप तथा पूजन करते हुए चिन्तन किया।