वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 24: शिवजी द्वारा की गई स्तुति का गान
»
श्लोक 10
श्लोक
4.24.10
यस्येदं देवयजनमनुयज्ञं वितन्वत: ।
प्राचीनाग्रै: कुशैरासीदास्तृतं वसुधातलम् ॥ १० ॥
अनुवाद
play_arrowpause
महाराजा बर्हिषत् ने संसार भर में कई यज्ञों का आयोजन किया। उन्होंने कुश के तिनकों को फैलाकर उनके सिरों को पूर्व दिशा में मोड़ दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.