श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 22: चारों कुमारों से पृथु महाराज की भेंट  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  4.22.12 
 
 
स्वागतं वो द्विजश्रेष्ठा यद्‌व्रतानि मुमुक्षव: ।
चरन्ति श्रद्धया धीरा बाला एव बृहन्ति च ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  महाराज पृथु ने चारों कुमारों को ब्रह्मणश्रेष्ठों के रूप में संबोधित करते हुए उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आपने जन्म से ही ब्रह्मचर्य व्रत का दृढ़तापूर्वक पालन किया है और यद्यपि आप मुक्ति के मार्ग में अनुभवी हैं, फिर भी आप अपने आप को छोटे बच्चों के समान ही बनाए हुए हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.