श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 21: महाराज पृथु द्वारा उपदेश  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  4.21.5 
 
 
शङ्खदुन्दुभिघोषेण ब्रह्मघोषेण चर्त्विजाम् ।
विवेश भवनं वीर: स्तूयमानो गतस्मय: ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  जब राजा महल में आया, तो शंख और दुंदुभियाँ बजने लगीं, पुरोहित वैदिक मंत्रों का उच्चारण करने लगे और बन्दीजन कई तरह से स्तुति करने लगे। परन्तु इतने स्वागत-समारोह के बावजूद राजा पर जरा भी असर नहीं पड़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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