श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 21: महाराज पृथु द्वारा उपदेश  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  4.21.13 
 
 
एकदासीन्महासत्रदीक्षा तत्र दिवौकसाम् ।
समाजो ब्रह्मर्षीणां च राजर्षीणां च सत्तम ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  एक समय राजा पृथु ने एक महान यज्ञ करने का व्रत लिया जिसमें कई महान ऋषि, ब्राह्मण, विभिन्न ऊंचे ग्रहों से आये हुए देवता और बड़े-बड़े राजर्षि एकत्रित हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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