वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 21: महाराज पृथु द्वारा उपदेश
»
श्लोक 13
श्लोक
4.21.13
एकदासीन्महासत्रदीक्षा तत्र दिवौकसाम् ।
समाजो ब्रह्मर्षीणां च राजर्षीणां च सत्तम ॥ १३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
एक समय राजा पृथु ने एक महान यज्ञ करने का व्रत लिया जिसमें कई महान ऋषि, ब्राह्मण, विभिन्न ऊंचे ग्रहों से आये हुए देवता और बड़े-बड़े राजर्षि एकत्रित हुए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.