य एवं सन्तमात्मानमात्मस्थं वेद पूरुष: ।
नाज्यते प्रकृतिस्थोऽपि तद्गुणै: स मयि स्थित: ॥ ८ ॥
अनुवाद
भौतिक धरातल पर होने के बाद भी, जो व्यक्ति परमात्मा और आत्मा के पूर्णज्ञान को प्राप्त कर लेता है, वह भौतिक प्रकृति के गुणों से प्रभावित नहीं होता, क्योंकि वह सदैव मेरे दिव्य प्रेमाभक्ति में लीन रहता है।