स आदिराजो रचिताञ्जलिर्हरिं
विलोकितुं नाशकदश्रुलोचन: ।
न किञ्चनोवाच स बाष्पविक्लवो
हृदोपगुह्यामुमधादवस्थित: ॥ २१ ॥
अनुवाद
राजा महाराज पृथु की आँखों में आँसू थे और उनकी वाणी अवरुद्ध हो गई थी। इसलिए वह न तो भगवान को ठीक से देख सके और न ही उन्हें संबोधित करके कुछ कह सके। उन्होंने केवल अपने हृदय में भगवान को आलिंगन किया और हाथ जोड़े हुए उसी तरह खड़े रहे।