राज्य के सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना राजा का निर्दिष्ट धर्म है। ऐसा करके राजा को अगले जन्म में प्रजा के पुण्यों का छठा भाग मिलता है। लेकिन जो राजा या शासक प्रजा से केवल कर वसूलता है और नागरिकों को उचित सुरक्षा नहीं देता, तो उसके पुण्य प्रजा छीन लेती है और सुरक्षा न देने के बदले में उसे प्रजा के पापों को भोगना पड़ता है।