उदासीनमिवाध्यक्षं द्रव्यज्ञानक्रियात्मनाम् ।
कूटस्थमिममात्मानं यो वेदाप्नोति शोभनम् ॥ ११ ॥
अनुवाद
जो कोई भी यह जानता है कि पांच स्थूल तत्वों, कर्मेन्द्रियों, ज्ञानेन्द्रियों और मन से निर्मित यह भौतिक शरीर केवल स्थिर आत्मा द्वारा संचालित होता है, वह भौतिक बंधन से मुक्ति पाने योग्य है।