एष एव हि लोकानां शिव: पन्था: सनातन: ।
यं पूर्वे चानुसन्तस्थुर्यत्प्रमाणं जनार्दन: ॥ ३१ ॥
अनुवाद
वेद मानव सभ्यता के कल्याण और प्रगति के शाश्वत नियमों का उपदेश देते हैं जिनका पालन अतीत में सख्ती से किया जाता था। इस सिद्धांत का मजबूत प्रमाण पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान हैं, जिन्हें जनार्दन कहा जाता है, अर्थात् सभी जीवों के शुभचिंतक।