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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 19: राजा पृथु के एक सौ अश्वमेध यज्ञ
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श्लोक 41
श्लोक
4.19.41
विप्रा: सत्याशिषस्तुष्टा: श्रद्धया लब्धदक्षिणा: ।
आशिषो युयुजु: क्षत्तरादिराजाय सत्कृता: ॥ ४१ ॥
अनुवाद
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अत्यन्त सम्मानपूर्वक आदिराज पृथु ने उस यज्ञ में उपस्थित समस्त ब्राह्मणों को सभी प्रकार की दक्षिणाएं दीं, जिन्हें पाकर सभी ब्राह्मण अति प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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