तदभिप्रेत्य भगवान् कर्मातिशयमात्मन: ।
शतक्रतुर्न ममृषे पृथोर्यज्ञमहोत्सवम् ॥ २ ॥
अनुवाद
जब इन्द्र ने यह देखा कि सकाम कर्मों में राजा पृथु उससे आगे निकलने जा रहा है, तो वह इससे सहन नहीं कर सका। वह पृथु के द्वारा कराये जा रहे यज्ञ-महोत्सव को रोकना चाहता था।