एवं वैन्यसुत: प्रोक्तस्त्वरमाणं विहायसा ।
अन्वद्रवदभिक्रुद्धो रावणं गृध्रराडिव ॥ १६ ॥
अनुवाद
इसी प्रकार की जानकारी मिलने पर राजा वेन के पौत्र ने तुरंत इन्द्र का पीछा शुरू कर दिया, जो बहुत जल्दी आसमान से होकर भाग रहा था। वह उस पर बहुत क्रोधित था और उसका पीछा करने लगा जैसे गिद्धराज रावण का पीछा कर रहा हो।