तं तादृशाकृतिं वीक्ष्य मेने धर्मं शरीरिणम् ।
जटिलं भस्मनाच्छन्नं तस्मै बाणं न मुञ्चति ॥ १४ ॥
अनुवाद
राजा इन्द्र छलिया वेश में संन्यासी बन गए थे, उनके सिर पर जटाओं का जूड़ा बंधा हुआ था और पूरा शरीर भस्म से सना हुआ था। ऐसा वेश देखकर राजा पृथु के पुत्र ने इन्द्र को धर्मनिष्ठ और पवित्र संन्यासी समझा, इसलिए उसने उन पर अपने बाण नहीं चलाए।