मैत्रेय उवाच
अथादीक्षत राजा तु हयमेधशतेन स: ।
ब्रह्मावर्ते मनो: क्षेत्रे यत्र प्राची सरस्वती ॥ १ ॥
अनुवाद
महर्षि मैत्रेय ने आगे कहा : हे विदुर, राजा पृथु ने उस स्थान पर जहाँ सरस्वती नदी पूर्वमुखी होकर बहती है, एक सौ अश्वमेध यज्ञ किए। इस भूखण्ड को ब्रह्मावर्त कहते हैं, जो कि पहले स्वायंभुव मनु के शासन में था।