श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 18: पृथु महाराज द्वारा पृथ्वी का दोहन  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  4.18.21 
 
 
यक्षरक्षांसि भूतानि पिशाचा: पिशिताशना: ।
भूतेशवत्सा दुदुहु: कपाले क्षतजासवम् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  तब मांस खाने के आदी यक्ष, राक्षस, भूत और पिशाचों ने श्री शिव के अवतार रुद्र (भूतनाथ) को बछड़े में बदल दिया और खून से बने पेय पदार्थों को निकाल कर कपाल के बर्तनों में भर लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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