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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 18: पृथु महाराज द्वारा पृथ्वी का दोहन
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श्लोक 15
श्लोक
4.18.15
कृत्वा वत्सं सुरगणा इन्द्रं सोममदूदुहन् ।
हिरण्मयेन पात्रेण वीर्यमोजो बलं पय: ॥ १५ ॥
अनुवाद
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सभी देवतागण ने स्वर्ग के राजा इंद्र को बछड़े में बदल दिया और उन्होंने पृथ्वी में से सोम रस अर्थात् अमृत को दुह लिया। इस प्रकार वे मानसिक, शारीरिक और ऐन्द्रिय शक्ति में अत्यंत बलवान हो गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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