मां विपाट्याजरां नावं यत्र विश्वं प्रतिष्ठितम् ।
आत्मानं च प्रजाश्चेमा: कथमम्भसि धास्यसि ॥ २१ ॥
अनुवाद
गाय के आकार वाली धरती ने कहा: हे राजन्, मैं एक सुदृढ़ नाव के समान हूँ और समस्त संसार की समस्त सामग्री मुझ पर टिकी हुई है। अगर आप मुझे तोड़कर नष्ट कर देंगे तो आप अपने को और अपनी प्रजा को डूबने से कैसे बचा पाएँगे?