श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 16: बन्दीजनों द्वारा राजा पृथु की स्तुति  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  4.16.2 
 
 
नालं वयं ते महिमानुवर्णने
यो देववर्योऽवततार मायया ।
वेनाङ्गजातस्य च पौरुषाणि ते
वाचस्पतीनामपि बभ्रमुर्धिय: ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  गायक आगे बोले : हे राजन्, आप साक्षात भगवान विष्णु के अवतार हैं और उनकी निस्वार्थ कृपा से आप पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं। इसलिए आपके महान कार्यों की वास्तव में स्तुति करना हमारे बस की बात नहीं है। हालाँकि आप राजा वेन के शरीर से अवतरित हुए हैं, परन्तु भगवान ब्रह्मा और अन्य देवताओं जैसे महान वक्ता और भाषणकर्ता भी आपके कार्यों की महिमा का सटीक वर्णन नहीं कर सकते।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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