रञ्जयिष्यति यल्लोकमयमात्मविचेष्टितै: ।
अथामुमाहू राजानं मनोरञ्जनकै: प्रजा: ॥ १५ ॥
अनुवाद
यह राजा अपने व्यावहारिक कार्यों द्वारा सबों को प्रसन्न रखेगा, और इसके सभी नागरिक अत्यंत संतुष्ट रहेंगे। इस कारण से, नागरिकों को उसे अपना शासक राजा स्वीकार करने में बहुत संतुष्टि मिलेगी।