श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 16: बन्दीजनों द्वारा राजा पृथु की स्तुति  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  4.16.15 
 
 
रञ्जयिष्यति यल्लोकमयमात्मविचेष्टितै: ।
अथामुमाहू राजानं मनोरञ्जनकै: प्रजा: ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  यह राजा अपने व्यावहारिक कार्यों द्वारा सबों को प्रसन्न रखेगा, और इसके सभी नागरिक अत्यंत संतुष्ट रहेंगे। इस कारण से, नागरिकों को उसे अपना शासक राजा स्वीकार करने में बहुत संतुष्टि मिलेगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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