श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 15: राजा पृथु की उत्पत्ति और राज्याभिषेक  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  4.15.8 
 
 
शङ्खतूर्यमृदङ्गाद्या नेदुर्दुन्दुभयो दिवि ।
तत्र सर्व उपाजग्मुर्देवर्षिपितृणां गणा: ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  बाहरी अंतरिक्ष में शंख, दुंदुभि, तुरही और मृदंग बज उठे। महान ऋषि-मुनि, पितृगण और स्वर्ग के पुरुष विभिन्न लोकों से पृथ्वी पर आ पहुँचे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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