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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 15: राजा पृथु की उत्पत्ति और राज्याभिषेक
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श्लोक 11
श्लोक
4.15.11
तस्याभिषेक आरब्धो ब्राह्मणैर्ब्रह्मवादिभि: ।
आभिषेचनिकान्यस्मै आजह्रु: सर्वतो जना: ॥ ११ ॥
अनुवाद
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तब वैदिक अनुष्ठानों से जुड़े विद्वान ब्राह्मणों ने राजा के राज्याभिषेक का पूरा आयोजन कर दिया। उत्सव की विभिन्न सामग्रियों को चारों दिशाओं के लोगों ने जमा किया। इस तरह सारा सामान इकट्ठा हो गया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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