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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 15: राजा पृथु की उत्पत्ति और राज्याभिषेक
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श्लोक 1
श्लोक
4.15.1
मैत्रेय उवाच
अथ तस्य पुनर्विप्रैरपुत्रस्य महीपते: ।
बाहुभ्यां मथ्यमानाभ्यां मिथुनं समपद्यत ॥ १ ॥
अनुवाद
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महान ऋषि मैत्रेय आगे बोले : हे विदुर, इस प्रकार ब्राह्मणों और महान ऋषियों ने राजा वेन के मृत शरीर की दोनों भुजाओं का फिर से मंथन किया। इसके फलस्वरूप उनकी भुजाओं से एक स्त्री और पुरुष की जोड़ी निकली।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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