राजा वेन की मृत्यु से राज्य में अव्यवस्था का दौर शुरू हो गया। कानून-व्यवस्था नाम की चीज़ नहीं रही। नतीजतन, चोर-उचक्के आम जनता की संपत्ति लूटने लगे। ऋषिगण अपनी शक्ति से इस उपद्रव को रोक सकते थे, जैसे उन्होंने राजा वेन का वध किया था। लेकिन उन्होंने ऐसा करना उचित नहीं समझा। इसलिए, उन्होंने उपद्रव को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया।