वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 14: राजा वेन की कथा
»
श्लोक 35
श्लोक
4.14.35
ऋषिभि: स्वाश्रमपदं गते पुत्रकलेवरम् ।
सुनीथा पालयामास विद्यायोगेन शोचती ॥ ३५ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
ऋषिगण अपने अपने आश्रम लौट गए जिसके बाद राजा वेन की माँ सुनिता, अपने बेटे की मृत्यु से बेहद दुखी हो गई थी। उसने अपने बेटे के शव को कुछ द्रव्यों एवं मंत्रोच्चार द्वारा सुरक्षित रखने का फैसला किया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.