वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 14: राजा वेन की कथा
»
श्लोक 3
श्लोक
4.14.3
श्रुत्वा नृपासनगतं वेनमत्युग्रशासनम् ।
निलिल्युर्दस्यव: सद्य: सर्पत्रस्ता इवाखव: ॥ ३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
वेन पहले से ही बहुत कठोर और क्रूर था। इसलिए जैसे ही राज्य के चोर-उचक्कों ने सुना कि वह शासक बन गया है, वे उससे बहुत डर गए और उन्होंने खुद को यहाँ-वहाँ छिपा लिया, जैसे चूहे खुद को साँप से बचाते हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.