को यज्ञपुरुषो नाम यत्र वो भक्तिरीदृशी ।
भर्तृस्नेहविदूराणां यथा जारे कुयोषिताम् ॥ २५ ॥
अनुवाद
तुम देवताओं के इतने भक्त हो, पर वे हैं कौन? सचमुच, इन देवताओं के प्रति तुम्हारा स्नेह उस कुलटा स्त्री के समान है, जो अपने विवाहित जीवन की परवाह न करके अपने प्रेमी पर सारा ध्यान देती है।