श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 14: राजा वेन की कथा  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  4.14.24 
 
 
अवजानन्त्यमी मूढा नृपरूपिणमीश्वरम् ।
नानुविन्दन्ति ते भद्रमिह लोके परत्र च ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  अज्ञानतावश जो लोग राजा की पूजा नहीं करते (जो कि वास्तव में पूर्ण परमात्मा हैं), उन्हें न इस दुनिया में और न ही मृत्यु के बाद की दुनिया में खुशी का अनुभव होता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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