श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 14: राजा वेन की कथा  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  4.14.15 
 
 
धर्म आचरित: पुंसां वाङ्‍मन:कायबुद्धिभि: ।
लोकान् विशोकान् वतरत्यथानन्त्यमसङ्गिनाम् ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  जो लोग धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार आचरण करते हैं और मन, वचन, कर्म और बुद्धि से उनका पालन करते हैं, वे स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ किसी प्रकार का दुख नहीं होता। इस तरह भौतिक प्रभाव से मुक्त होकर वे जीवन में असीम सुख प्राप्त करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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