श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 14: राजा वेन की कथा  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  4.14.13 
 
 
एवमध्यवसायैनं मुनयो गूढमन्यव: ।
उपव्रज्याब्रुवन् वेनं सान्‍त्वयित्वा च सामभि: ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार निश्चय करके ऋषिगण राजा वेन के पास गये। उन्होंने अपने क्रोध को छिपाकर मीठे वचनों से उसे मनाया-फुसलाया। फिर उन्होंने इस प्रकार भी कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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