वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 14: राजा वेन की कथा
»
श्लोक 13
श्लोक
4.14.13
एवमध्यवसायैनं मुनयो गूढमन्यव: ।
उपव्रज्याब्रुवन् वेनं सान्त्वयित्वा च सामभि: ॥ १३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस प्रकार निश्चय करके ऋषिगण राजा वेन के पास गये। उन्होंने अपने क्रोध को छिपाकर मीठे वचनों से उसे मनाया-फुसलाया। फिर उन्होंने इस प्रकार भी कहा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.