प्रायेणाभ्यर्चितो देवो येऽप्रजा गृहमेधिन: ।
कदपत्यभृतं दु:खं ये न विन्दन्ति दुर्भरम् ॥ ४३ ॥
अनुवाद
राजा ने मन ही मन विचार किया कि निस्संदेह, जिन लोगों के पुत्र नहीं होते वे भाग्यशाली होते हैं। उन्होंने अवश्य ही पूर्वजन्मों में भगवान की उपासना की होगी, जिसके कारण उन्हें किसी बुरे पुत्र से मिलने वाले असहनीय दुःख को नहीं सहना पड़ेगा।