षट्त्रिंशद्वर्षसाहस्रं शशास क्षितिमण्डलम् ।
भोगै: पुण्यक्षयं कुर्वन्नभोगैरशुभक्षयम् ॥ १३ ॥
अनुवाद
ध्रुव महाराज ने इस पृथ्वी पर छत्तीस हजार वर्षों तक राज्य किया; उन्होंने पुण्य कर्मों के प्रभावों को भोगों द्वारा कम किया, और तपस्या के अभ्यास से उन्होंने अशुभ कर्मों के प्रभावों को कम किया।