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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 11: युद्ध बन्द करने के लिए
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श्लोक 29
श्लोक
4.11.29
तमेनमङ्गात्मनि मुक्तविग्रहे
व्यपाश्रितं निर्गुणमेकमक्षरम् ।
आत्मानमन्विच्छ विमुक्तमात्मदृग्
यस्मिन्निदं भेदमसत्प्रतीयते ॥ २९ ॥
अनुवाद
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इसलिए हे ध्रुव, अपना ध्यान अच्युत ब्रह्म परम पुरुष की ओर लगाओ। तुम अपने मूल स्थान में रहते हुए भगवान दर्शन करो। इस प्रकार आत्मसाक्षात्कार द्वारा तुम इस भौतिक अंतर को क्षणिक पाओगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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