श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 11: युद्ध बन्द करने के लिए  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  4.11.21 
 
 
आयुषोऽपचयं जन्तोस्तथैवोपचयं विभु: ।
उभाभ्यां रहित: स्वस्थो दु:स्थस्य विदधात्यसौ ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान विष्णु सर्वशक्तिमान हैं और सभी जीवों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। इस तरह, वैसे जीव जो बहुत कम समय के लिए रहते हैं और वे जो लंबे समय तक जीवित रहते हैं, दोनों ही भगवान् के दिव्य पद से अलग नहीं हो सकते। भगवान् की जीवन अवधि में कोई कमी या वृद्धि नहीं होती।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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