श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 11: युद्ध बन्द करने के लिए  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.11.16 
 
 
एवं प्रवर्तते सर्ग: स्थिति: संयम एव च ।
गुणव्यतिकराद्राजन्मायया परमात्मन: ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  मनु ने आगे कहा: हे राजा ध्रुव, भगवान की मोहमयी भौतिक शक्ति और भौतिक प्रकृति के गुणों की पारस्परिक क्रिया से ही सृष्टि, इसका रखरखाव और विनाश होता रहता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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