पुलस्त्योऽजनयत्पत्न्यामगस्त्यं च हविर्भुवि ।
सोऽन्यजन्मनि दह्राग्निर्विश्रवाश्च महातपा: ॥ ३६ ॥
अनुवाद
पुलस्त्य को उनकी पत्नी हविर्भू से अगस्त्य नाम से एक पुत्र मिला, जो अपने अगले जन्म में दह्राग्नि बन गए। इसके अलावा, पुलस्त्य के एक और महान और पवित्र पुत्र हुए, जिसका नाम विश्रवा था।