प्रजापति: स भगवान् रुचिस्तस्यामजीजनत् ।
मिथुनं ब्रह्मवर्चस्वी परमेण समाधिना ॥ ३ ॥
अनुवाद
जीवात्माओं के जनक के रूप में नियुक्त (प्रजापति) एवं अपने ब्रह्मज्ञान में परम शक्तिशाली रुचि को उनकी पत्नी आकूति के गर्भ से एक पुत्र और एक पुत्री की प्राप्ति हुई।