कृपावलोकेन हसद्वदनेनोपलम्भितान् ।
तद्रोचिषा प्रतिहते निमील्य मुनिरक्षिणी ॥ २५ ॥
अनुवाद
अत्रि मुनि ये देखकर बेहद खुश हुए कि तीनों देवता उन पर कृपा करके आये हैं। उन देवताओं के शरीर के प्रकाश से उनकी आँखें चौंधिया गईं, इसलिए उन्होंने कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं।