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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 1: मनु की पुत्रियों की वंशावली
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श्लोक 21
श्लोक
4.1.21
तप्यमानं त्रिभुवनं प्राणायामैधसाग्निना ।
निर्गतेन मुनेर्मूर्ध्न: समीक्ष्य प्रभवस्त्रय: ॥ २१ ॥
अनुवाद
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जब अत्रि मुनि घोर तपस्या कर रहे थे, तो उनके प्राणायाम के कारण उनके सिर से एक प्रज्ज्वलित आग निकली, जिसे तीनों लोकों के तीनों प्रमुख देवों ने देखा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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