श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 1: मनु की पुत्रियों की वंशावली  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  4.1.17 
 
 
मैत्रेय उवाच
ब्रह्मणा चोदित: सृष्टावत्रिर्ब्रह्मविदां वर: ।
सह पत्‍न्या ययावृक्षं कुलाद्रिं तपसि स्थित: ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  मैत्रेय ने कहा: जब ब्रह्माजी ने अनसूया से विवाह करने के बाद अत्रि मुनि को वंश चलाने का आदेश दिया, तब वे अपनी पत्नी के साथ ऋक्ष नामक पर्वत की घाटी में कठोर तपस्या करने चले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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