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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 7: विदुर द्वारा अन्य प्रश्न
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श्लोक 11
श्लोक
3.7.11
यथा जले चन्द्रमस: कम्पादिस्तत्कृतो गुण: ।
दृश्यतेऽसन्नपि द्रष्टुरात्मनोऽनात्मनो गुण: ॥ ११ ॥
अनुवाद
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जिस तरह जल में दिखने वाला चंद्रमा जल के गुणों के कारण हिलता-डुलता प्रतीत होता है, उसी तरह पदार्थ से जुड़ा हुआ आत्मा भी पदार्थ जैसा ही प्रतीत होता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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