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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 6: विश्व रूप की सृष्टि
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श्लोक 2
श्लोक
3.6.2
कालसंज्ञां तदा देवीं बिभ्रच्छक्तिमुरुक्रम: ।
त्रयोविंशतितत्त्वानां गणं युगपदाविशत् ॥ २ ॥
अनुवाद
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तब परम शक्तिशाली भगवान् ने अपनी बाहरी ऊर्जा, देवी काली के साथ मिलकर तेईस तत्वों में प्रवेश किया, क्योंकि केवल वही सभी विभिन्न तत्वों को मिलाती हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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