श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 6: विश्व रूप की सृष्टि  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.6.1 
 
 
ऋषिरुवाच
इति तासां स्वशक्तीनां सतीनामसमेत्य स: ।
प्रसुप्तलोकतन्त्राणां निशाम्य गतिमीश्वर: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  मैत्रेय ऋषि बोले: इस प्रकार भगवान् ने महत्-तत्त्व जैसी अपनी शक्तियों के संयुक्त न होने के कारण होने वाले संसार के प्रगतिशील सृजन कार्यों के निलम्बन के विषय में सुना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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