श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 5: मैत्रेय से विदुर की वार्ता  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.5.20 
 
 
माण्डव्यशापाद्भगवान् प्रजासंयमनो यम: ।
भ्रातु: क्षेत्रे भुजिष्यायां जात: सत्यवतीसुतात् ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  मैं जानता हूँ कि माण्डव्य ऋषि के शाप के कारण तुम विदुर बने हो। इससे पहले तुम जीवों की मृत्यु के बाद उन पर नियंत्रण रखने वाले महान राजा यमराज थे। तुम सत्यवती के पुत्र व्यासदेव द्वारा, उनकी भाई की रखैल से उत्पन्न हुए थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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