श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.31.7 
 
 
कटुतीक्ष्णोष्णलवणरूक्षाम्‍लादिभिरुल्बणै: ।
मातृभुक्तैरुपस्पृष्ट: सर्वाङ्गोत्थितवेदन: ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  माता द्वारा खट्टे, नमकीन या कड़वे भोजन का सेवन करने से शिशु के शरीर में निरंतर पीड़ा रहती है, जो अक्सर असहनीय होती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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