श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 30: भगवान् कपिल द्वारा विपरीत कर्मों का वर्णन  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.30.31 
 
 
एक: प्रपद्यते ध्वान्तं हित्वेदं स्वकलेवरम् ।
कुशलेतरपाथेयो भूतद्रोहेण यद्भृतम् ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  वह इस शरीर को त्यागने के बाद अकेले नरक के अंधेरे भागों में जाता है और अन्य जीवों से ईर्ष्या करके जो धन इकट्ठा किया था, वह उसके साथ उसके पाथेय के रूप में जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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