प्राणायामैर्दहेद्दोषान्धारणाभिश्च किल्बिषान् ।
प्रत्याहारेण संसर्गान्ध्यानेनानीश्वरान्गुणान् ॥ ११ ॥
अनुवाद
प्राणायाम विधि के अभ्यास से व्यक्ति अपने शारीरिक दोषों को पूरी तरह से खत्म कर सकता है और अपने मन को एकाग्र करके वह सभी पापकर्मों से मुक्त हो सकता है। इंद्रियों को अपने वश में करके व्यक्ति खुद को भौतिक संसार से मुक्त कर सकता है और ईश्वर के ध्यान के द्वारा वह भौतिक आसक्ति के तीनों गुणों से मुक्त हो सकता है।