प्रसङ्गमजरं पाशमात्मन: कवयो विदु: ।
स एव साधुषु कृतो मोक्षद्वारमपावृतम् ॥ २० ॥
अनुवाद
प्रत्येक विद्वान व्यक्ति अच्छी तरह जानता है कि सांसारिक आसक्ति ही आत्मा का सबसे बड़ा बन्धन है। लेकिन अगर वही आसक्ति, आत्म-साक्षात्कार प्राप्त संतों के प्रति हो तो मुक्ति प्राप्ति का द्वार खुल जाता है।